Shodashi - An Overview

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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

Lots of great beings have worshipped facets of Shodashi. The great sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali through his total everyday living, and at its fruits, he compensated homage to Shodashi by his have spouse, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in observing the divine in all beings, and particularly his existence associate.

कामेश्यादिभिरावृतं शुभ~ण्करं श्री-सर्व-सिद्धि-प्रदम् ।

The Devas then prayed to her to demolish Bhandasura and restore Dharma. She is thought to acquire fought the mother of all battles with Bhandasura – some scholars are with the watch that Bhandasura took a variety of types and Devi appeared in different kinds to annihilate him. Lastly, she killed Bhandasura While using the Kameshwarastra.

पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥

चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

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Her legacy, encapsulated in the vibrant traditions and sacred texts, carries on to manual and inspire All those on The trail of devotion and self-realization.

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

Goddess also has the title of Adi Mahavidya, which implies the entire Variation of truth. In Vedic mantras, she is described as the Goddess who sparkles with The gorgeous and pure rays in the Sunshine.

Disregarding all caution, she went to your ceremony and found her father had begun the ceremony with no her.

कर्तुं देवि ! जगद्-विलास-विधिना सृष्टेन ते मायया

स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।

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